Thursday, August 26, 2010

मुगालिस्तान

भारत की ख्याति , समृधि , वैभव , संस्कृती , अनेकता में एकता , भाई चारा , एवं प्रगति देख सारा विश्व एक बार तो तारीफ किये बिने नहीं चुकता । इतना ही नहीं लोग उपरी मन से प्रशंसा कर अन्दर ही अन्दर भारत को निचा दिखाने या हानी पहुचने में लगे रहते है । भारत के सभी पडोसी देशो को तो यहाँ की सुख शांति पचती ही नहीं है इसी लिए तो हमेशा इसी प्रयत्न में रहते है की किसी न किसी तरह इसकी शांति ,समृधि ,सुख चैन को ग्रहण लगायें । और इसमें कई बार हम उन्हें मौका दे देते है तो कई बार कुदरत उन्हें मौका दे देती है ।
चीन ,पाकिस्तान , बांग्लादेश को तो भारत की प्रगति कभी भी हजम नहीं होती है , हेडली जैसो को पालकर अमेरिका की भी गिनती इन्ही देशो में हो गई है । इसका फायदा मोदीजी को जरुर उठान चाहिए एक विरोध के रूप में - क्योंकि इसी अमेरिका ने मोदी को उनके देश में आने से रोका था इसका बदला वे पहले हेडली दो फिर भारत आओ ये मांग रखकर कर सकते है इसी बहाने मोदी की छवि भी सुधर जाएगी और अपने अपमान का बदला भी ले लेंगे । इस वर्ष के अंत तक अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा भारत की यात्रा पर आने वाले है और भारत को खुश करने के लिए उन्होंने अपने टाइम टेबल में पाकिस्तान की यात्रा नहीं रखी है जिससे लोग उन्हें अपना सच्चा हितैषी समज़े (भले वो अगले साल पाक की यात्रा कर या थोडा हथियार लादेन के नाम पर दे उन्हें खुश कर देंगे )
वैसे भी बाला साहेब ठाकरे के बाद यदि कोई हिंदूवादी , राष्ट्रप्रेमी नेता यदि कोई है तो वो है मोदीजी एवं वरुण जी और ये वो लोग है जो उत्तर भारत में फिर से जन्म ले रहे आतंकवाद एवं मुग्लिस्तान के नाम पर देश को बाटने वालो को मुहतोड़ जवाब दे सकने का सामर्थ्य रखते है और चीन , पाक और बांग्लादेश जैसे पडोसी दुश्मन देशों और आतंकवादियों को उनकी औकात में रख सकते है क्योंकि इनमे हमें शिवाजी और राणाप्रताप दिखाई देते है । जिनकी एक पुकार पर हम एक बार नहीं अनेको बार शहीद और आजाद की तरह अपने आप को माँ भोम पर कुर्बान कर सकते है । इन्ही की क्षत्र छाया में फिर से भारत को सोने की चिड़िया बना सकते है ।

16 comments:

  1. क्या आपने हिंदी ब्लॉग संकलक हमारीवाणी पर अपना ब्लॉग पंजीकृत किया है?
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  2. हमारीवाणी, इन्डली और अपनीवाणी पर रजिस्टर न करें. ये एग्रेगेटर जेहादी फंडिंग से चल रहे हैं और इनके संचालकों का परिचय भी संदिग्ध है. इन एग्रेगेटरों के पीछे काम कर रहे लोग आपका ब्लॉग और ईमेल आसानी से हैक कर सकते हैं. सावधान रहें.

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  3. अच्छा लिखा है आपने.....

    एक नज़र इधर भी "गृहमंत्री जी एक लाइन खींच रहे है .. भगवा आंतकवाद की."

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  4. अच्छा लिखा है धन्यवाद्|

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  5. शुभकामनाएं

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  6. सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से

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  7. सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से

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  8. सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से

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  9. सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से

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  10. सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सूर नहीं है यह संसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से स्कारसलीमसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से ब बात का सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यहीसलीसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से म उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इससलीम उसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से ति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से म्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से संसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से स्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से र्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से में तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से र नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से मिले हैं तुमको अपने धर्म से

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  11. हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से गाली हीसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागलसलीम उर्फ़ अभसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से य शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात कासलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृतिसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से स्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से तुसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से मको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागलसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हासलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से रा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से ही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से उर्फ़ अभय शसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जीसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही हैसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी स

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  13. तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से य शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात कासलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृतिसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से स्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से तुसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से मको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागलसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हासलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से रा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से ही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से उर्फ़ अभय शसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जीसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही हैसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी स
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    Thakur M.Islam Vinay said...
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    क्षमा शोभती उ इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से स्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से तुसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से मको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागलसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हासलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से रा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से ही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से उर्फ़ अभय शसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जीसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही हैसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या
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  16. क्षमा शोभती उ इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से स्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से तुसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से मको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागलसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है सलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हासलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से रा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से ही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से यही है की जब बात का जवाब न दिया जाये तो गाली ही दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से दे दो इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं है यह संस्कार मिले हैं तुमको अपने धर्म से उर्फ़ अभय शसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जीसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या तुम्हारी संस्कृति यही हैसलीम उर्फ़ अभय शर्मा जी क्या तुम पागल हो क्या
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