tag:blogger.com,1999:blog-8401183533619759232024-03-13T23:11:26.299-07:00MADHUR SHATAKabhay aazadhttp://www.blogger.com/profile/16685524123237840471noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-840118353361975923.post-49435742579403381222010-08-26T00:34:00.000-07:002010-08-26T01:35:56.042-07:00मुगालिस्तान<span class=""> भारत</span> की ख्याति , समृधि , वैभव , संस्कृती , अनेकता में एकता , भाई चारा , एवं प्रगति देख सारा विश्व एक बार तो तारीफ किये बिने नहीं चुकता । इतना ही नहीं लोग उपरी मन से प्रशंसा कर अन्दर ही अन्दर भारत को निचा दिखाने या हानी पहुचने में लगे रहते है । भारत के सभी पडोसी देशो को तो यहाँ की सुख शांति पचती ही नहीं है इसी लिए तो हमेशा इसी प्रयत्न में रहते है की किसी न किसी तरह इसकी शांति ,समृधि ,सुख चैन को ग्रहण लगायें । और इसमें कई बार हम उन्हें मौका दे देते है तो कई बार कुदरत उन्हें मौका दे देती है ।<br /> चीन ,पाकिस्तान , बांग्लादेश को तो भारत की प्रगति कभी भी हजम नहीं होती है , हेडली जैसो को पालकर अमेरिका की भी गिनती इन्ही देशो में हो गई है । इसका फायदा मोदीजी को जरुर उठान चाहिए एक विरोध के रूप में - क्योंकि इसी अमेरिका ने मोदी को उनके देश में आने से रोका था इसका बदला वे पहले हेडली दो फिर भारत आओ ये मांग रखकर कर सकते है इसी बहाने मोदी की छवि भी सुधर जाएगी और अपने अपमान का बदला भी ले लेंगे । इस वर्ष के अंत तक अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा भारत की यात्रा पर आने वाले है और भारत को खुश करने के लिए उन्होंने अपने टाइम टेबल में पाकिस्तान की यात्रा नहीं रखी है जिससे लोग उन्हें अपना सच्चा हितैषी समज़े (भले वो अगले साल पाक की यात्रा कर या थोडा हथियार लादेन के नाम पर दे उन्हें खुश कर देंगे )<br /> वैसे भी बाला साहेब ठाकरे के बाद यदि कोई हिंदूवादी , राष्ट्रप्रेमी नेता यदि कोई है तो वो है मोदीजी एवं वरुण जी और ये वो लोग है जो उत्तर भारत में फिर से जन्म ले रहे आतंकवाद एवं मुग्लिस्तान के नाम पर देश को बाटने वालो को मुहतोड़ जवाब दे सकने का सामर्थ्य रखते है और चीन , पाक और बांग्लादेश जैसे पडोसी दुश्मन देशों और आतंकवादियों को उनकी औकात में रख सकते है क्योंकि इनमे हमें शिवाजी और राणाप्रताप दिखाई देते है । जिनकी एक पुकार पर हम एक बार नहीं अनेको बार शहीद और आजाद की तरह अपने आप को माँ भोम पर कुर्बान कर सकते है । इन्ही की क्षत्र छाया में फिर से भारत को सोने की चिड़िया बना सकते है ।abhay aazadhttp://www.blogger.com/profile/16685524123237840471noreply@blogger.com16tag:blogger.com,1999:blog-840118353361975923.post-40360485507506455422010-08-20T21:47:00.000-07:002010-08-20T21:50:27.166-07:00वन्दे मातरम(સંસ્કૃત મૂળ ગીત)सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्सस्य श्यामलां मातरंम् .शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् .सुखदां वरदां मातरम् ॥कोटि कोटि कन्ठ कलकल निनाद करालेद्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवालेके बोले मा तुमी अबलेबहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्मत्वं हि प्राणाः शरीरेबाहुते तुमि मा शक्ति,हृदये तुमि मा भक्ति,तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ॥त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणीकमला कमलदल विहारिणीवाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्नमामि कमलां अमलां अतुलाम्सुजलां सुफलां मातरम् ॥श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्धरणीं भरणीं मातरम् ॥<br />(બંગાળી મૂળ ગીત)સુજલાં સુફલાં મલયજશીતલામ્શસ્યશ્યામલાં માતરમ્શુભ્રજ્યોત્સ્ના પુલકિતયામિનીમ્ફુલ્લકુસુમિત દ્રુમદલશોભિનીમ્સુહાસિનીં સુમધુર ભાષિણીમ્સુખદાં વરદાં માતરમ્કોટિ કોટિ કણ્ઠ કલકલનિનાદ કરાલેકોટિ કોટિ ભુજૈર્ધૃતખરકરબાલેકે બલે મા તુમિ અબલેબહુબલધારિણીં નમામિ તારિણીમ્રિપુદલવારિણીં માતરમ્તુમિ વિદ્યા તુમિ ધર્મ, તુમિ હૃદિ તુમિ મર્મત્વ્મ્ હિ પ્રાણ શરીરેબાહુતે તુમિ મા શક્તિહૃદય઼ે તુમિ મા ભક્તિતોમારૈ પ્રતિમા ગડ઼િ મન્દિરે મન્દિરેત્બં હિ દુર્ગા દશપ્રહરણધારિણીકમલા કમલદલ બિહારિણીબાણી બિદ્યાદાય઼િની ત્બામ્નમામિ કમલાં અમલાં અતુલામ્સુજલાં સુફલાં માતરમ્શ્યામલાં સરલાં સુસ્મિતાં ભૂષિતામ્ધરણીં ભરણીં માતરમ્abhay aazadhttp://www.blogger.com/profile/16685524123237840471noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-840118353361975923.post-17578856404044928442010-08-20T02:17:00.000-07:002010-08-20T03:33:59.763-07:00क्षमा शोभती उस भुजंग को ,<span class=""> आज</span> दिनांक २२/८/२०१० की सुबह जब टी,वी पर समाचार देख बरबस ही ये काव्य पंक्तियाँ याद आ गई जब सुना की हमारे देश के मीठी जुबान से पुरे देश को मरहम लगाने वाले प्रधान मंत्री मनमोहन सिंग ने पाकिस्तान में आए भयंकर बाढ़ से दुखी हो अच्छे पडोसी का फर्ज अदा करने की तमन्ना जागी । तो उन्होंने पहले पाक के प्रधानमंत्री गिलानी से मदद की पेशकस की , पेशकस मंजूर होने के बाद उन्होंने देश वासियों के सामने मदद की जानकारी दी ।<br /> शायद उन्हें अपने देश में दी जाने वाली मदद की वापसी और फिर स्वीकृति का कांड याद आ गया हो उन्हें अपने में मोदी दिखाई दिया हो , जैसे नितीश ने कोसी त्रासदी का पैसा वापस कर दिया था वैसे ही कही गिलानी भी उनकी मदद को वापस न कर दे नहीं तो जग हंसाई न हो इस लिए उन्होंने एक दिन पहले ही फ़ोन पर मदद की स्वीकृति लेने के बाद ही बात जाहिर की । चलो अंत भला तो सब भला ।<br /> लेकिन दुःख तो इस बात का है कि जब बात हो ही रही थी तो खैर ख्वाह पूछते हुए लगे हांथो जम्बू के पुन्च्छ में लगातार दो दिनों से पाक कि तरफ से हो रही भयंकर गोलीबारी के बारे में भी पूछ लेते कि यदि गोलियों , गोले और रोकेट की कमी हो तो वो भी थोडा बहुत ये भी भेज दू । जिससे हमें ही नुकसान पहुचे आज हमारा देश भी बाढ़ , सुखा , महंगाई , शिक्षित बेरोजगारी , उग्रवाद , नक्सलवाद ,कोमंवेल्थ गेम्स एवं सहयोगी पक्ष के दबाव , अनाज के भण्डारण की कमियों आदि से जूझ रहा है । ये तो मनमोहन सिंग जैसे कुशल अर्थशास्त्री हैं जो पिछले कई वर्षों से प्रजा के मुह में वादों की मीठी लोलीपोप थमा देते है की अगले वर्ष तक महंगाई जरुर कम हो जाएगी । जिसमे थोडा बहुत सहयोग विपक्ष का भी होता है , विपक्ष एक मुद्दे को लेकर बहस छेदताहै की उसी समय भानुमती के पिटारे से एक दूसरा मुद्दा सामने आ जाता है जिससे पहला मुद्दा दब कर रह जाता है । और हमें न खुदा ही मिलता है न ही मिसाले सनम मिल पाटा है । ऐसे में भारत जैसे विकासशील देश की इस तरह की दयनीय स्थिति देख कर ये पंक्तियाँ हमारे देश पर बेनामी नहीं लगाती । ..........................................घर का बच्चा घंटी चाते । <br /> क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो ,<br /> उसको क्या जो दंतहीन विषरहित विनीत सरल हो ।abhay aazadhttp://www.blogger.com/profile/16685524123237840471noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-840118353361975923.post-62593767780991373612010-08-18T04:55:00.000-07:002010-08-18T05:27:06.186-07:00न पक्ष न विपक्ष बस अपना एक ही लक्ष्य -मनी मनीसंसद जो भारतीय लोकतंत्र की गरिमा है ,लेकिन जब कभी भूले से किसी चेनल पर उसका दर्शन होता है तो संसद संसद न लगकर किसी मच्छी बाजार या सब्जीमंडी अधिक लगता है , क्योंकि नेता अपनी बात कहने में या प्रजा की समस्या को बताने में नहीं लगाते उतना जोर जवाब न सुनने या सत्ता पक्ष का विरोध करने में लगाते हैं । ऐसा लगता है कि संसद में कौन कितने जोर से बोलता है इसकी प्रतियोगिता चल रही हो । इतना ही नहीं हद तो तब हो जाती है जब विरोध करने में वे प्रजा के हित को ही भूल जाते हैं । तब उनकी हालत देख उस फिल्म की याद आ जाती है जिसमे नेता नदी पर बांध बना पानी से बिजली पैदा करने का विरोध करते हुआ कहता है कि यदि पानी में से बिजली निकाल ली गई तो पानी किसी कम का नहीं रह जाएगा ।<br /> इसके विपरीत जब भी कभी नेताओं को अपनी पगार या भत्ता या कोई और सुविधा प्राप्त करने की बात संसद में लाइ जाती है तो संसद के सारे मंत्री अपने पक्ष विपक्ष को भूल सभी एकमत हो अपनी बात मनवा लेते है ।<br /> काश हमारे नेता इसी तरह गरीबी , बेरोजगारी , भुखमरी , भ्रष्टाचार , कालेधन की वापसी , देश में ख़रीदे जाने वाले सैन्य संसाधन के कमीशन के खुलासे जैसे प्राण प्रश्नों के बारे एक मत हो जाये तो ये नेता भारत के भगवान हो जाये .abhay aazadhttp://www.blogger.com/profile/16685524123237840471noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-840118353361975923.post-9955652787335929712010-08-17T00:44:00.000-07:002010-08-17T03:45:56.380-07:00हम भी मदद करेंगे (युद्ध के समय जनमानस )हम भी मदद करेंगे ,मातृभूमि के लिए जियेंगे ,<br />मातृभूमि के लिए मरेंगे , हम भी मदद करेंगे ,<br /> <strong><em>सैनिक</em></strong><br />हम वीर सिपाही भारत के , अरि दल पर टूट पड़ेंगे ,<br />बांध कफ़न सिर पर , समरांगन में बिहरेंगे ,<br /><span class="">सींच रक्त से बैरी के , धरती की प्यास हरेंगे ,</span><br /><span class="">बन काल - काल से पहले , दुश्मन का अंत करेंगे ,</span><br /><span class="">जान भले ही चली जाये , पर आन न जाने देंगे , </span><br /><span class="">हम भी मदद करेंगे । </span><br /><span class=""> <strong>मजदूर </strong></span><br /><span class="">हम श्रम -वीर देश के , मोर्चे मिल कारखानों में लेंगे ,</span><br /><span class="">रक्षा उत्पादन को , पहले से द्विगुणित कर देंगे ,</span><br /><span class="">पड़े कमी ना शस्त्रों की , हम ऐसी युक्ति करेंगे ,</span><br /><span class="">बढे उत्पादन सभी क्षेत्र में , हम श्रम अतिरिक्त करेंगे , </span><br /><span class="">पर दुश्मन को निज सीमा में , आना हम न सहेंगे ,</span><br /><span class="">हम भी मदद करेंगे । </span><br /><span class=""> <em><strong>किसान </strong></em></span><br /><span class=""> हम किसान क़ुरबानी में सबको मात करेंगे ,</span><br /><span class="">विपुल उत्पादन हो खेतों में , हम दिवस रात एक करेंगे , </span><br /><span class="">पड़े कमी ना अन्न की देश में , हम ऐसा संकल्प धरेंगे ,</span><br /><span class="">अन्न - फल और मेवो से , निज देश का भंडार भरेंगे ,</span><br /><span class="">हम भी मदद करेंगे । </span><br /><span class=""> <em><strong> वनिक (बनिया )</strong></em></span><br /><span class="">हम वनिक वर्ग भी क़ुरबानी में पीछे कभी न रहेंगे ,</span><br /><span class="">भामाशाह की त्याग वृति का हम अनुसरण करेंगे ,</span><br /><span class="">संग्रह और मुनाफाखोरी का हम मोह न कभी करेंगे ,</span><br /><span class="">शपथ जन्मभूमि की हमको हम भाव न बढ़ने न देंगे , </span><br /><span class="">धन वैभव हम सभी देश के देश पर अर्पण के देंगे ,</span><br /><span class="">हम भी मदद करेंगे । </span><br /><span class=""> <strong> बुद्धिजीवी </strong></span><br /><span class="">हम सरस्वती के वरद पुत्र ,क्या चुप्पी साध रहेंगे , </span><br /><span class="">अपनी अपनी लेखनियों द्वारा ,हम भी व्यूह रचेंगे ,</span><br /><span class="">एक - एक शब्द हमारे गोले के काम करेंगे , </span><br /><span class="">जन-जन के मानस में हम उद्भुत राष्ट्र प्रेम करेंगे , </span><br /><span class="">कापुरुष कहाने वाले भी युद्ध हेतु मचलेंगे ,</span><br /><span class="">अपना सर्वस्व लुटाने को लोग आपस में होड़ करेंग ,</span><br /><span class="">हम भी मदद करेंगे । </span><br /><span class=""> <em> नागरिक </em></span><br /><span class="">हम नागरिक देश के सभी रक्षण में मदद करेंगे ,</span><br /><span class="">छोड़ विवादों को आपस के हम मिलकर सभी रहेंगे ,</span><br /><span class="">डरेंगे कभी न संकट से हम मनोबल अपना ऊँचा रखेंगे ,</span><br /><span class="">हर सहाय दे शासन का हम मजबूत हाँथ करेंगे ,</span><br /><span class="">अफवाहों को समाज में हम कभी न बढ़ने देंगे ,</span><br /><span class="">हम भी मदद करेंगे । </span><br /><span class=""> <strong><em> नारीवर्ग </em></strong></span><br /><span class="">हम सभी नारियां भारत की शक्ति का रूप धरेंगी ,</span><br /><span class="">विजयी हो निज सिंदूर समर में हंस हंस तिलक करेंगी ,</span><br /><span class="">बहने बांधेगी रक्षा सूत्र निज वीरो को विदा करेंगी ,</span><br /><span class="">माताएं कर विदा लाल को निज हाँथ शीश फेरेंगी , </span><br /><span class="">सोने चांदी के गहनों से रक्षा कोष भरेंगी ,</span><br /><span class="">हम भी मदद करेंगी । </span><br /><span class=""> <strong>बालवृन्द </strong></span><br /><span class="">हम सब नन्हे मुन्ने भी इस पुण्य का लाभ न छोड़ेंगे ,</span><br /><span class="">अपने चोकलेट और बिस्किट वीर जवानों को भेजेंगे ,</span><br /><span class="">हम जेब खर्च के सारे पैसे रक्षाकोश में जमा करेंगे , </span><br /><span class="">मिले जो अवसर लड़ने का तो धन्य अपने को समझेंगे , </span><br /><span class="">सौगंध देश की हमको हम भी भगत आज़ाद बनेंगे , </span><br /><span class="">हम भी मदद करेंगे । </span><br /><span class=""> <strong><em> संत (महात्मा )</em></strong></span><br /><span class="">हम संत महात्मा भारत माँ को दुखी न देखेंगे ,</span><br /><span class="">बाबा गंगादास बनकर मंत्र अमरता का फूंकेंगे ,</span><br /><span class="">दंड -कमंडल त्याग कर हम गरुण सरीखे टूटेंगे , </span><br /><span class="">निज स्वत्व की रक्षा कर अपने को मुक्त करेंगे ,</span><br /><span class="">हम भी मदद करेंगे । </span><br /><span class=""> <strong><em> बेकार (बेरोजगार</em></strong> )</span><br /><span class="">अरे हम बेकार लोग क्या बेकार बने बैठेंगे ,</span><br /><span class="">युद्ध से पीड़ित लोगो की सेवा का कार्य चुनेगे , </span><br /><span class="">कर सेवा दुखियों की हम अपने को धन्य करेंगे ,</span><br /><span class="">मिल गया अगर अवसर तो हम दुश्मन से मार करेंगे ,</span><br /><span class="">हम भी मदद करेंगे । </span><br /><span class=""> <strong><em> जनखे </em></strong></span><br /><span class="">देश के सारे जनखे हम कौतुक एक करेंगे, </span><br /><span class="">शिखंडी सम हम भी काम नेक करेंगे ,</span><br /><span class="">भीष्म सरीखे सेनापतियों से रखवा हथियार हम लेंगे ,</span><br /><span class="">कसम माँ भारती की हमको हम एक न उनकी चलने देंगे , </span><br /><span class="">हम भी मदद करेंगे । </span><br /><span class=""> <strong><em> शेषजन </em></strong></span><br /><span class="">बचे खुचे हम भारतवासी देश के साथ रहेंगे ,</span><br /><span class="">आहत लोगो की रक्षा हेतु हम रक्तदान करेंगे ,</span><br /><span class="">मितव्ययिता को अपना कर हम राष्ट्र को सबल करेंगे , </span><br /><span class="">राष्ट्र विरोधी तत्वों को हम सम्मुख आने न देंगे , </span><br /><span class="">सुन पुकार जननी की तन -धन जीवन वारेंगे , </span><br /><span class="">हम भी मदद करेंगे , निज जीवन "मधुर "करेंगे । </span>abhay aazadhttp://www.blogger.com/profile/16685524123237840471noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-840118353361975923.post-7074644636142734082010-08-13T03:50:00.000-07:002010-08-13T04:50:33.665-07:00नेता कल के गुंडे आज के सुपारी किलर<span class=""> गुजरात</span> के सोह्राब्बुदीन कौसरबी के मर्डर केस को देखते हुए लगता है कि नेताओ ने अपने पुराने धंधे को फिर से अपना लिया है वैसे भी चुनावी धांधली (सभी तरह के जुर्म ) के लिए सिर्फ उत्तर भारत ही बदनाम होता है जबकि होता सभी जगह है। शायद अपने इसी हुनर को बरकरार रखने के लिए नेता चुनाव के बाद सुपारी किलिंग का काम कर रहे है जिससे उनके दिमाग को जंग न लग जाय क्योंकि पुरे राज्य को तो अकेले मुख्यमंत्री महोदय ही चला रहे है जैसा पाकिस्तान में एक अकेला ही पुरे देश को चलाता है बाकी नेता तो बस नाम के है निर्णय तो बस यूपीऐ अध्यक्षा सोनिया मेडम की तरह ही उनका ही चलता है । देश को नेताओ के इस हुनर का सदुपयोग किया जा सकता है । कसाब जैसे आतंकवादी देशभर की जेलों में बंद हैं जो पुरे देश के लिए सिरदर्द बन बैठे हैं उनकी सेवा और सुरक्षा में देश का अरबों का नुकसान हो रहा है ऐसे गुनहगारो को गुजरात पुलिश को सौप देना चाहिए । मै विश्वास के साथ कहता हूँ कि जितना पैसा उन्हें जीवित रखने में खर्च हो रहा है उसके दसवें भाग में ही उनका काम तमाम किया जा सकता है गुजरात ने जिस तरह नैनो को बचाया उसी तरह देश के दुश्मनों का सफाया कर देश के धन , इज्जत प्रतिष्ठा को बचा सकता है।<br /> भले पूरा देश इसे जुर्म मानता हो देश के सच्चे सेवकों को सजा देने की बात करता है मुख्य मंत्री भी उन्हें गुजरात कि न्याय प्रक्रिया और वकीलों की दुहाई देते है केस प्रदेश की कोर्ट में ही लड़ा जाये ऐसा मानते है लेकिन शाह और बंजारा के बचाव पक्ष के वकील राम जेठमलानी कब से गुजरात के हो गए वो तो सी बी आई के प्रदेश दिल्ली से आते है जो कुछ समय पहले कोंग्रेस से भी थे । जय जय स्वर्णीम गुजरातabhay aazadhttp://www.blogger.com/profile/16685524123237840471noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-840118353361975923.post-49803382029580754942010-03-02T06:23:00.000-08:002010-03-03T05:30:13.103-08:00कैकेयी की वेदनारामायण हिन्दू धर्म का एक पवित्र ग्रन्थ है । जिसमे राम का चरित्र सर्वोत्तम है , जो करुणा ,त्याग , सहिष्णुता , प्रेम , धर्म , भात्रुप्रेम आदि की मूर्ति है । राम के चरित्र को निखारने में जितनी राम की व्यक्तिगत विशेषता का योगदान है उतना ही कैकेयी का योगदान है ।<br />कैकेयी अयोध्या नरेश राजा दशरथ की तीन रानियों में सबसे छोटी थी जो उन्हें अत्यंत प्रिय थी । देवासुर संग्राम में राजा दशरथ के प्राणों की रक्षा कर उनके द्वारा दिए गए दो वरदानो की कृपापात्र बनी । जिसका सदुपयोग उन्होंने अपने प्रिय पुत्र श्री राम को चौदह वर्ष तक वनवासी जीवन व्यतित कर लंका नरेश रावण का वध कर इस धरा को उसके पापाचार से मुक्त कराकर सही मायने में राम राज्य की स्थापना करना । इस पुनीत कार्य के लिए इतिहास उन्हें आज भी घृणा की नजर से देखता है , उनके द्वारा किये गए उपकार के बदले में लोग आज भी उनकी निंदा करते है । अबला नारी की श्रेणी में सीता , उर्मिला , यशोधरा , अहिल्या आदि का वर्णन होता है ,लेकिन कैकेयी के त्याग ,बलिदान को देख सही मायने में ये पंक्ति सार्थक लगती है -''अबला तेरी यही कहानी ,आंचल में है दूध आँखों में है पानी '' ।<br /><span class=""> : किसी</span> भी सधवा नारी के लिए उसका सौभाग्य उसका पति होता है और कैकेयी को पता था कि यदि राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास और अपने पुत्र के लिए राजगद्दी मांगकर वह अपने पति के प्राणों को संकट में डाल स्वयं अपने आप को विधवा बना रही है क्योंकि राम उन्हें अपने प्राणों से भी प्रिय है और वह राम के बगैर जी न सकेंगे । यह जानते हुए भी कैकेयी ने जनकल्याण हेतु विधवा होना स्वीकार किया । जिसके लिए पति के द्वारा शापित भी हुई ।<br /> : कैकेयी को अपने चारो पुत्रो में सबसे अधिक स्नेह राम पर था यहाँ तक कि राम के बगैर वह जीवन कि कल्पना भी नहीं कर सकती थी फिर भी प्रजा कार्य हेतु उन्होंने राम को वन में भेज राम का असह्य वियोग सहा ।<br /> : कैकेयी अपने सगे पुत्र साधू भरत को अच्छी तरह से जानती थी कि वह अपने बड़े भाई की जगह कभी भी राजा पद का स्वीकार नहीं करेगा , और इस कार्य के लिए उसे कभी माफ़ भी नहीं करेगा । अपने कलेजे पर पत्थर रख कर कैकेयी ने वरदान माँगा जिसके परिणाम स्वरूप भरत ने कभी भी कैकेये को माँ नहीं कहा । इससे बड़ी दुख की बात किसी माँ के लिए क्या हो सकती है ।<br /> : समाज में निन्दित हुई लोगो के तिरस्कार का भोग भी बनी <br />फिर भी उनके इन त्याग और बलिदान को देख कर मेरा मस्तक श्रध्दासे झुक जाता है ।abhay aazadhttp://www.blogger.com/profile/16685524123237840471noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-840118353361975923.post-36401411043464761052010-02-26T05:04:00.000-08:002010-02-27T02:23:35.989-08:00होलीचाहे कोई तीर चलाये ,चाहे चलाये गोली ;<br />हम तो अपने ढंग से मित्रो इस वर्ष मानेगे होली ;<br />जाति पांति का भूत भगाकर हम साथ रहेंगे बनाके टोली,<br />अमीरी गरीबी की दीवार भेदकर, सभी बनेंगे हमजोली ।<br />भूखे नंगो का दरद बंटा, भरेंगे मानवता की झोली ।<br />त्याग आपसी मतभेदों को , बोलेंगे 'मधुर' प्रेम की बोली।<br /><span class="">मिल-जुलकर सब साथ रहेंगे , जैसे दमन से चोली । </span><br /><span class="">दरिद्र नारायण की सेवा कर , हमने मैली चादर धोली । </span><br /><span class="">प्रेम का पाठ सिखाकर सबको , हमने मन की आँखे खोली। </span><br /><span class="">धुप-दीप नैवेध्य त्याग कर, फेंक दिया अक्षत रोली । </span><br /><span class="">दीन हीन को गले लगाकर, प्रभुवर की पूजा करली । </span><br /><span class="">काया को रंगने के बदले , दिल की चादर हमने रंगली । </span><br /><span class="">रोतों को हंसी बाँटकर ,'मधुर' प्यार की मदिरा पी ली । </span><br /><span class="">चाहे कोई तीर चलावे , चाहे चलावे गोली । </span><br /><span class="">हम तो अपने ढंग से मित्रो , इस वर्ष मनाएंगे होली । </span>abhay aazadhttp://www.blogger.com/profile/16685524123237840471noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-840118353361975923.post-27944318295067123302010-02-25T00:55:00.000-08:002010-02-25T01:28:59.230-08:00क्रिकेट के सम्राट को सलामकल २४/२/२०१०, को क्रिकेट जगत में एक अविस्मर्णीय पल रहा , जिसे देख दोस्त , दुश्मन , बड़े-बुढे सभी लिटिल मास्टर की तारिफ किये बगैर नहीं रह सके , आज इसी घटना क्रम की देश वासियों को बधाई देते हुए मै अपनी लेखनी का शुभारम्भ कर रहा हूँ ,माँ वाक्देवी सरस्वती मेरी लेखनी को मेरे स्वर्गीय माता एवं पिता (सुमित्रा देवी रमाशंकर शर्मा 'मधुर' ) श्री के श्री चरणों में समर्पित कर अमरता को प्रदान करे यही अभ्यर्थना ।<br />सचिन रमेश तेंदुलकर ने कल जयपुर के मैदान में इतिहास रच दिया । जिसमे एक दिवसीय मैच में २०० रन (डबल सेंचुरी ) बना दुनिया में भारत के नाम ऊँचा कर दिया । वे दुनिया के प्रथम भारतीय क्रिकेटर है जिसने यह कीर्तिमान स्थापित किया है । ये २०० रनों मात्र १४७ गेंदों में २५ चौक्के एवं तीन छक्को की मदद से बनाया । वाह सचिन वाह ! ईश्वर आप को दीर्घायु प्रदान कर उतरोत्तर नई उपलब्धिया प्रदान करें यही प्राथना .abhay aazadhttp://www.blogger.com/profile/16685524123237840471noreply@blogger.com0