गुजरात के सोह्राब्बुदीन कौसरबी के मर्डर केस को देखते हुए लगता है कि नेताओ ने अपने पुराने धंधे को फिर से अपना लिया है वैसे भी चुनावी धांधली (सभी तरह के जुर्म ) के लिए सिर्फ उत्तर भारत ही बदनाम होता है जबकि होता सभी जगह है। शायद अपने इसी हुनर को बरकरार रखने के लिए नेता चुनाव के बाद सुपारी किलिंग का काम कर रहे है जिससे उनके दिमाग को जंग न लग जाय क्योंकि पुरे राज्य को तो अकेले मुख्यमंत्री महोदय ही चला रहे है जैसा पाकिस्तान में एक अकेला ही पुरे देश को चलाता है बाकी नेता तो बस नाम के है निर्णय तो बस यूपीऐ अध्यक्षा सोनिया मेडम की तरह ही उनका ही चलता है । देश को नेताओ के इस हुनर का सदुपयोग किया जा सकता है । कसाब जैसे आतंकवादी देशभर की जेलों में बंद हैं जो पुरे देश के लिए सिरदर्द बन बैठे हैं उनकी सेवा और सुरक्षा में देश का अरबों का नुकसान हो रहा है ऐसे गुनहगारो को गुजरात पुलिश को सौप देना चाहिए । मै विश्वास के साथ कहता हूँ कि जितना पैसा उन्हें जीवित रखने में खर्च हो रहा है उसके दसवें भाग में ही उनका काम तमाम किया जा सकता है गुजरात ने जिस तरह नैनो को बचाया उसी तरह देश के दुश्मनों का सफाया कर देश के धन , इज्जत प्रतिष्ठा को बचा सकता है।
भले पूरा देश इसे जुर्म मानता हो देश के सच्चे सेवकों को सजा देने की बात करता है मुख्य मंत्री भी उन्हें गुजरात कि न्याय प्रक्रिया और वकीलों की दुहाई देते है केस प्रदेश की कोर्ट में ही लड़ा जाये ऐसा मानते है लेकिन शाह और बंजारा के बचाव पक्ष के वकील राम जेठमलानी कब से गुजरात के हो गए वो तो सी बी आई के प्रदेश दिल्ली से आते है जो कुछ समय पहले कोंग्रेस से भी थे । जय जय स्वर्णीम गुजरात
Friday, August 13, 2010
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