Thursday, August 26, 2010

मुगालिस्तान

भारत की ख्याति , समृधि , वैभव , संस्कृती , अनेकता में एकता , भाई चारा , एवं प्रगति देख सारा विश्व एक बार तो तारीफ किये बिने नहीं चुकता । इतना ही नहीं लोग उपरी मन से प्रशंसा कर अन्दर ही अन्दर भारत को निचा दिखाने या हानी पहुचने में लगे रहते है । भारत के सभी पडोसी देशो को तो यहाँ की सुख शांति पचती ही नहीं है इसी लिए तो हमेशा इसी प्रयत्न में रहते है की किसी न किसी तरह इसकी शांति ,समृधि ,सुख चैन को ग्रहण लगायें । और इसमें कई बार हम उन्हें मौका दे देते है तो कई बार कुदरत उन्हें मौका दे देती है ।
चीन ,पाकिस्तान , बांग्लादेश को तो भारत की प्रगति कभी भी हजम नहीं होती है , हेडली जैसो को पालकर अमेरिका की भी गिनती इन्ही देशो में हो गई है । इसका फायदा मोदीजी को जरुर उठान चाहिए एक विरोध के रूप में - क्योंकि इसी अमेरिका ने मोदी को उनके देश में आने से रोका था इसका बदला वे पहले हेडली दो फिर भारत आओ ये मांग रखकर कर सकते है इसी बहाने मोदी की छवि भी सुधर जाएगी और अपने अपमान का बदला भी ले लेंगे । इस वर्ष के अंत तक अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा भारत की यात्रा पर आने वाले है और भारत को खुश करने के लिए उन्होंने अपने टाइम टेबल में पाकिस्तान की यात्रा नहीं रखी है जिससे लोग उन्हें अपना सच्चा हितैषी समज़े (भले वो अगले साल पाक की यात्रा कर या थोडा हथियार लादेन के नाम पर दे उन्हें खुश कर देंगे )
वैसे भी बाला साहेब ठाकरे के बाद यदि कोई हिंदूवादी , राष्ट्रप्रेमी नेता यदि कोई है तो वो है मोदीजी एवं वरुण जी और ये वो लोग है जो उत्तर भारत में फिर से जन्म ले रहे आतंकवाद एवं मुग्लिस्तान के नाम पर देश को बाटने वालो को मुहतोड़ जवाब दे सकने का सामर्थ्य रखते है और चीन , पाक और बांग्लादेश जैसे पडोसी दुश्मन देशों और आतंकवादियों को उनकी औकात में रख सकते है क्योंकि इनमे हमें शिवाजी और राणाप्रताप दिखाई देते है । जिनकी एक पुकार पर हम एक बार नहीं अनेको बार शहीद और आजाद की तरह अपने आप को माँ भोम पर कुर्बान कर सकते है । इन्ही की क्षत्र छाया में फिर से भारत को सोने की चिड़िया बना सकते है ।

Friday, August 20, 2010

वन्दे मातरम

(સંસ્કૃત મૂળ ગીત)सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्सस्य श्यामलां मातरंम् .शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् .सुखदां वरदां मातरम् ॥कोटि कोटि कन्ठ कलकल निनाद करालेद्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवालेके बोले मा तुमी अबलेबहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्मत्वं हि प्राणाः शरीरेबाहुते तुमि मा शक्ति,हृदये तुमि मा भक्ति,तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ॥त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणीकमला कमलदल विहारिणीवाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्नमामि कमलां अमलां अतुलाम्सुजलां सुफलां मातरम् ॥श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्धरणीं भरणीं मातरम् ॥
(બંગાળી મૂળ ગીત)સુજલાં સુફલાં મલયજશીતલામ્શસ્યશ્યામલાં માતરમ્શુભ્રજ્યોત્સ્ના પુલકિતયામિનીમ્ફુલ્લકુસુમિત દ્રુમદલશોભિનીમ્સુહાસિનીં સુમધુર ભાષિણીમ્સુખદાં વરદાં માતરમ્કોટિ કોટિ કણ્ઠ કલકલનિનાદ કરાલેકોટિ કોટિ ભુજૈર્ધૃતખરકરબાલેકે બલે મા તુમિ અબલેબહુબલધારિણીં નમામિ તારિણીમ્રિપુદલવારિણીં માતરમ્તુમિ વિદ્યા તુમિ ધર્મ, તુમિ હૃદિ તુમિ મર્મત્વ્મ્ હિ પ્રાણ શરીરેબાહુતે તુમિ મા શક્તિહૃદય઼ે તુમિ મા ભક્તિતોમારૈ પ્રતિમા ગડ઼િ મન્દિરે મન્દિરેત્બં હિ દુર્ગા દશપ્રહરણધારિણીકમલા કમલદલ બિહારિણીબાણી બિદ્યાદાય઼િની ત્બામ્નમામિ કમલાં અમલાં અતુલામ્સુજલાં સુફલાં માતરમ્શ્યામલાં સરલાં સુસ્મિતાં ભૂષિતામ્ધરણીં ભરણીં માતરમ્

क्षमा शोभती उस भुजंग को ,

आज दिनांक २२/८/२०१० की सुबह जब टी,वी पर समाचार देख बरबस ही ये काव्य पंक्तियाँ याद आ गई जब सुना की हमारे देश के मीठी जुबान से पुरे देश को मरहम लगाने वाले प्रधान मंत्री मनमोहन सिंग ने पाकिस्तान में आए भयंकर बाढ़ से दुखी हो अच्छे पडोसी का फर्ज अदा करने की तमन्ना जागी । तो उन्होंने पहले पाक के प्रधानमंत्री गिलानी से मदद की पेशकस की , पेशकस मंजूर होने के बाद उन्होंने देश वासियों के सामने मदद की जानकारी दी ।
शायद उन्हें अपने देश में दी जाने वाली मदद की वापसी और फिर स्वीकृति का कांड याद आ गया हो उन्हें अपने में मोदी दिखाई दिया हो , जैसे नितीश ने कोसी त्रासदी का पैसा वापस कर दिया था वैसे ही कही गिलानी भी उनकी मदद को वापस न कर दे नहीं तो जग हंसाई न हो इस लिए उन्होंने एक दिन पहले ही फ़ोन पर मदद की स्वीकृति लेने के बाद ही बात जाहिर की । चलो अंत भला तो सब भला ।
लेकिन दुःख तो इस बात का है कि जब बात हो ही रही थी तो खैर ख्वाह पूछते हुए लगे हांथो जम्बू के पुन्च्छ में लगातार दो दिनों से पाक कि तरफ से हो रही भयंकर गोलीबारी के बारे में भी पूछ लेते कि यदि गोलियों , गोले और रोकेट की कमी हो तो वो भी थोडा बहुत ये भी भेज दू । जिससे हमें ही नुकसान पहुचे आज हमारा देश भी बाढ़ , सुखा , महंगाई , शिक्षित बेरोजगारी , उग्रवाद , नक्सलवाद ,कोमंवेल्थ गेम्स एवं सहयोगी पक्ष के दबाव , अनाज के भण्डारण की कमियों आदि से जूझ रहा है । ये तो मनमोहन सिंग जैसे कुशल अर्थशास्त्री हैं जो पिछले कई वर्षों से प्रजा के मुह में वादों की मीठी लोलीपोप थमा देते है की अगले वर्ष तक महंगाई जरुर कम हो जाएगी । जिसमे थोडा बहुत सहयोग विपक्ष का भी होता है , विपक्ष एक मुद्दे को लेकर बहस छेदताहै की उसी समय भानुमती के पिटारे से एक दूसरा मुद्दा सामने आ जाता है जिससे पहला मुद्दा दब कर रह जाता है । और हमें न खुदा ही मिलता है न ही मिसाले सनम मिल पाटा है । ऐसे में भारत जैसे विकासशील देश की इस तरह की दयनीय स्थिति देख कर ये पंक्तियाँ हमारे देश पर बेनामी नहीं लगाती । ..........................................घर का बच्चा घंटी चाते ।
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो ,
उसको क्या जो दंतहीन विषरहित विनीत सरल हो ।

Wednesday, August 18, 2010

न पक्ष न विपक्ष बस अपना एक ही लक्ष्य -मनी मनी

संसद जो भारतीय लोकतंत्र की गरिमा है ,लेकिन जब कभी भूले से किसी चेनल पर उसका दर्शन होता है तो संसद संसद न लगकर किसी मच्छी बाजार या सब्जीमंडी अधिक लगता है , क्योंकि नेता अपनी बात कहने में या प्रजा की समस्या को बताने में नहीं लगाते उतना जोर जवाब न सुनने या सत्ता पक्ष का विरोध करने में लगाते हैं । ऐसा लगता है कि संसद में कौन कितने जोर से बोलता है इसकी प्रतियोगिता चल रही हो । इतना ही नहीं हद तो तब हो जाती है जब विरोध करने में वे प्रजा के हित को ही भूल जाते हैं । तब उनकी हालत देख उस फिल्म की याद आ जाती है जिसमे नेता नदी पर बांध बना पानी से बिजली पैदा करने का विरोध करते हुआ कहता है कि यदि पानी में से बिजली निकाल ली गई तो पानी किसी कम का नहीं रह जाएगा ।
इसके विपरीत जब भी कभी नेताओं को अपनी पगार या भत्ता या कोई और सुविधा प्राप्त करने की बात संसद में लाइ जाती है तो संसद के सारे मंत्री अपने पक्ष विपक्ष को भूल सभी एकमत हो अपनी बात मनवा लेते है ।
काश हमारे नेता इसी तरह गरीबी , बेरोजगारी , भुखमरी , भ्रष्टाचार , कालेधन की वापसी , देश में ख़रीदे जाने वाले सैन्य संसाधन के कमीशन के खुलासे जैसे प्राण प्रश्नों के बारे एक मत हो जाये तो ये नेता भारत के भगवान हो जाये .

Tuesday, August 17, 2010

हम भी मदद करेंगे (युद्ध के समय जनमानस )

हम भी मदद करेंगे ,मातृभूमि के लिए जियेंगे ,
मातृभूमि के लिए मरेंगे , हम भी मदद करेंगे ,
सैनिक
हम वीर सिपाही भारत के , अरि दल पर टूट पड़ेंगे ,
बांध कफ़न सिर पर , समरांगन में बिहरेंगे ,
सींच रक्त से बैरी के , धरती की प्यास हरेंगे ,
बन काल - काल से पहले , दुश्मन का अंत करेंगे ,
जान भले ही चली जाये , पर आन न जाने देंगे ,
हम भी मदद करेंगे ।
मजदूर
हम श्रम -वीर देश के , मोर्चे मिल कारखानों में लेंगे ,
रक्षा उत्पादन को , पहले से द्विगुणित कर देंगे ,
पड़े कमी ना शस्त्रों की , हम ऐसी युक्ति करेंगे ,
बढे उत्पादन सभी क्षेत्र में , हम श्रम अतिरिक्त करेंगे ,
पर दुश्मन को निज सीमा में , आना हम न सहेंगे ,
हम भी मदद करेंगे ।
किसान
हम किसान क़ुरबानी में सबको मात करेंगे ,
विपुल उत्पादन हो खेतों में , हम दिवस रात एक करेंगे ,
पड़े कमी ना अन्न की देश में , हम ऐसा संकल्प धरेंगे ,
अन्न - फल और मेवो से , निज देश का भंडार भरेंगे ,
हम भी मदद करेंगे ।
वनिक (बनिया )
हम वनिक वर्ग भी क़ुरबानी में पीछे कभी न रहेंगे ,
भामाशाह की त्याग वृति का हम अनुसरण करेंगे ,
संग्रह और मुनाफाखोरी का हम मोह न कभी करेंगे ,
शपथ जन्मभूमि की हमको हम भाव न बढ़ने न देंगे ,
धन वैभव हम सभी देश के देश पर अर्पण के देंगे ,
हम भी मदद करेंगे ।
बुद्धिजीवी
हम सरस्वती के वरद पुत्र ,क्या चुप्पी साध रहेंगे ,
अपनी अपनी लेखनियों द्वारा ,हम भी व्यूह रचेंगे ,
एक - एक शब्द हमारे गोले के काम करेंगे ,
जन-जन के मानस में हम उद्भुत राष्ट्र प्रेम करेंगे ,
कापुरुष कहाने वाले भी युद्ध हेतु मचलेंगे ,
अपना सर्वस्व लुटाने को लोग आपस में होड़ करेंग ,
हम भी मदद करेंगे ।
नागरिक
हम नागरिक देश के सभी रक्षण में मदद करेंगे ,
छोड़ विवादों को आपस के हम मिलकर सभी रहेंगे ,
डरेंगे कभी न संकट से हम मनोबल अपना ऊँचा रखेंगे ,
हर सहाय दे शासन का हम मजबूत हाँथ करेंगे ,
अफवाहों को समाज में हम कभी न बढ़ने देंगे ,
हम भी मदद करेंगे ।
नारीवर्ग
हम सभी नारियां भारत की शक्ति का रूप धरेंगी ,
विजयी हो निज सिंदूर समर में हंस हंस तिलक करेंगी ,
बहने बांधेगी रक्षा सूत्र निज वीरो को विदा करेंगी ,
माताएं कर विदा लाल को निज हाँथ शीश फेरेंगी ,
सोने चांदी के गहनों से रक्षा कोष भरेंगी ,
हम भी मदद करेंगी ।
बालवृन्द
हम सब नन्हे मुन्ने भी इस पुण्य का लाभ न छोड़ेंगे ,
अपने चोकलेट और बिस्किट वीर जवानों को भेजेंगे ,
हम जेब खर्च के सारे पैसे रक्षाकोश में जमा करेंगे ,
मिले जो अवसर लड़ने का तो धन्य अपने को समझेंगे ,
सौगंध देश की हमको हम भी भगत आज़ाद बनेंगे ,
हम भी मदद करेंगे ।
संत (महात्मा )
हम संत महात्मा भारत माँ को दुखी न देखेंगे ,
बाबा गंगादास बनकर मंत्र अमरता का फूंकेंगे ,
दंड -कमंडल त्याग कर हम गरुण सरीखे टूटेंगे ,
निज स्वत्व की रक्षा कर अपने को मुक्त करेंगे ,
हम भी मदद करेंगे ।
बेकार (बेरोजगार )
अरे हम बेकार लोग क्या बेकार बने बैठेंगे ,
युद्ध से पीड़ित लोगो की सेवा का कार्य चुनेगे ,
कर सेवा दुखियों की हम अपने को धन्य करेंगे ,
मिल गया अगर अवसर तो हम दुश्मन से मार करेंगे ,
हम भी मदद करेंगे ।
जनखे
देश के सारे जनखे हम कौतुक एक करेंगे,
शिखंडी सम हम भी काम नेक करेंगे ,
भीष्म सरीखे सेनापतियों से रखवा हथियार हम लेंगे ,
कसम माँ भारती की हमको हम एक न उनकी चलने देंगे ,
हम भी मदद करेंगे ।
शेषजन
बचे खुचे हम भारतवासी देश के साथ रहेंगे ,
आहत लोगो की रक्षा हेतु हम रक्तदान करेंगे ,
मितव्ययिता को अपना कर हम राष्ट्र को सबल करेंगे ,
राष्ट्र विरोधी तत्वों को हम सम्मुख आने न देंगे ,
सुन पुकार जननी की तन -धन जीवन वारेंगे ,
हम भी मदद करेंगे , निज जीवन "मधुर "करेंगे ।

Friday, August 13, 2010

नेता कल के गुंडे आज के सुपारी किलर

गुजरात के सोह्राब्बुदीन कौसरबी के मर्डर केस को देखते हुए लगता है कि नेताओ ने अपने पुराने धंधे को फिर से अपना लिया है वैसे भी चुनावी धांधली (सभी तरह के जुर्म ) के लिए सिर्फ उत्तर भारत ही बदनाम होता है जबकि होता सभी जगह है। शायद अपने इसी हुनर को बरकरार रखने के लिए नेता चुनाव के बाद सुपारी किलिंग का काम कर रहे है जिससे उनके दिमाग को जंग न लग जाय क्योंकि पुरे राज्य को तो अकेले मुख्यमंत्री महोदय ही चला रहे है जैसा पाकिस्तान में एक अकेला ही पुरे देश को चलाता है बाकी नेता तो बस नाम के है निर्णय तो बस यूपीऐ अध्यक्षा सोनिया मेडम की तरह ही उनका ही चलता है । देश को नेताओ के इस हुनर का सदुपयोग किया जा सकता है । कसाब जैसे आतंकवादी देशभर की जेलों में बंद हैं जो पुरे देश के लिए सिरदर्द बन बैठे हैं उनकी सेवा और सुरक्षा में देश का अरबों का नुकसान हो रहा है ऐसे गुनहगारो को गुजरात पुलिश को सौप देना चाहिए । मै विश्वास के साथ कहता हूँ कि जितना पैसा उन्हें जीवित रखने में खर्च हो रहा है उसके दसवें भाग में ही उनका काम तमाम किया जा सकता है गुजरात ने जिस तरह नैनो को बचाया उसी तरह देश के दुश्मनों का सफाया कर देश के धन , इज्जत प्रतिष्ठा को बचा सकता है।
भले पूरा देश इसे जुर्म मानता हो देश के सच्चे सेवकों को सजा देने की बात करता है मुख्य मंत्री भी उन्हें गुजरात कि न्याय प्रक्रिया और वकीलों की दुहाई देते है केस प्रदेश की कोर्ट में ही लड़ा जाये ऐसा मानते है लेकिन शाह और बंजारा के बचाव पक्ष के वकील राम जेठमलानी कब से गुजरात के हो गए वो तो सी बी आई के प्रदेश दिल्ली से आते है जो कुछ समय पहले कोंग्रेस से भी थे । जय जय स्वर्णीम गुजरात